Wednesday, June 13, 2012

आल इज़ वैल।


समझ, आपकी झोल में हैं,
परिस्थितियाँ कंट्रोल में हैं,
आल ईज़ वैल।

नेता जी, नेता थोड़ी हैं,
फिल्मी अभिनेता थोड़ी हैं,
लंदन से पढ़कर आये हैं,
कितना कुछ कर कर आये हैं,
आपका क्या है, आप तो जनता,
उमर अठ्ठारह, वोट है बनता।
पता भी है, इन्फ्लेशन क्या है,
सप्लाई-डिमांड का रिलेशन क्या है।
काले धन में काला क्या है,
मंदी में भला निराला क्या है।
नेता जी अपने अर्थशास्त्री,
और अर्थ क्या
, वो तो तर्कशास्त्री,
तर्क करो, तब तो जानें,
ऐसे ही कुछ भी क्यों मानें,
नेता जी का तर्क बाण है,
समझ, आपकी झोल में है,
परिस्थितियाँ कंट्रोल में हैं,
आल इज़ वैल।

नेता जी ने खुद नापा है,
डेली का खर्चा आँका है,
चार रुपये में चाय कटिंग दो,
बीस रूपये के भात गटक लो,
चार रूपये में आना-जाना,
बत्तीस में बस दिन कट जाना।
महँगा है क्या, ज़रा बताना।
समझ, आपकी झोल में है,
परिस्थितियाँ कंट्रोल में हैं,
आल इज़ वैल।

खाना, बिजली, तेल या चारा,
सप्लाई डिमांड का खेल है सारा,
खपत बढ़ी तो मँहगा होगा,
कन्ज्यूमर ही को सहना होगा।
सरकार में तो सब कमिटिड हैं
वांट्स आपके अनलिमिटेड हैं।
समझ, आपकी झोल में है,
परिस्थितियाँ कंट्रोल में हैं,
आल इज़ वैल।

बिज़निस की तो यही कहानी,
मंदी पीछे तेज़ी आनी।
विश्व ही पूरा झूझ रहा है,
भारत तो महफूज़ रहा है।
देखो जरा ग्रीस की हालत,
बख्शो अपनी समझ पे लानत,
समझ आपकी झोल में है,
परिस्थितियां कंट्रोल में हैं।
आल इज़ वैल।

नेताजी योगा करते हैं,
पौज़ीटिवली सोचा करते हैं,
रोते नहीं रिसेशन-रिसेशन,
आज नहीं तो अगला सेशन।
सोच की अपनी डोज़ बढ़ाओ,
कुछ भी बस मत सुनते जाओ।

समझ, आपकी झोल में है,
परिस्थितियाँ कंट्रोल में हैं,
आल इज़ वैल।