Sunday, January 13, 2013

शोकथाम।


ढोल बज गया है।
मंच सज गया है।
माईक में चिल्ला कर दखो,
स्टेज पूरा हिला कर देखो,
अभी-अभी बस पता चला है,
बलात्कार पर शोक सभा है।

दिल्ली में एक रेप हुआ है,
महिला पर आक्षेप हुआ है,
बलात्कारी तो भाग गया है,
लेकिन, देश तो जाग गया है।
इसीलिये तो शोकसभा है,
अभी-अभी तो पता चला है।

चारों ओर कोहराम मचा है,
कोना कोई कहाँ बचा है,
ऐसा हस्तक्षेप हुआ है,
देश में पहला रेप हुआ है,
इसीलिये तो शोकसभा है,
अभी-अभी तो पता चला है।

मुनियों, गुणियों, ज्ञान का भारत,
माता सम सम्मान का भारत,
वो भारत जो जगत-गुरू है,
हाय.. वहाँ भी रेप शुरू है,
इसीलिये तो शोकसभा है,
अभी-अभी तो पता चला है।

मंच पे अब तो चढ़ना ही होगा,
भाषण भी एक पढ़ना ही होगा,
चिल्लाना होगा चीत्कार,
बंद करो बस अत्याचार।
इसीलिये तो शोकसभा है,
अभी-अभी तो पता चला है।

पत्रकार भी बुलाने ही होंगे,
आँसू चार बहाने ही होंगे,
होगा थोड़ा सोच-विचार,
वादे भी तो होंगे चार,
इसीलिये तो शोकसभा है,
अभी-अभी तो पता चला है।

देश में पूरे एक ही मत है,
कुछ भी हो, पर रेप गलत है।
फूँको गाड़ी, तोड़ो कार,
रेपों को पर रोको यार,
इसीलिये तो शोकसभा है,
अभी-अभी तो पता चला है।

ज्ञानी, ध्यानी, नेता बेमानी,
बाबा, अम्मा, नाना-नानी,
सबका एक-एक,
साक्षात्कार।
इसीलिये तो शोकसभा है,
अभी-अभी तो पता चला है।

पहले भ्रष्टों पर शोक हुआ था,
फिर आतंकवाद का विरोध हुआ था,
और आज का मुद्दा,
बलात्कार।
इसीलिये तो शोकसभा है,
अभी-अभी तो पता चला है।