निगलते भी नहीं बनता,
उगलते भी नहीं बनता,
ना बनता है ये सुनते ही,
और कहते भी नहीं बनता।
कहीं तो है,
कि कुछ तो है,
जो गले के बीच में जाकर,
किसी भित्ती से टकराकर,
अटकता है,
खटकता है।
कितना भी हिला लें सर,
मगर बनकर, अचर, ये पर,
ना हिलता है,
ना डुलता है।
ताला है कोई जंगी,
कहाँ ताली से खुलता है।
हम तो तोड़ भी देते,
और इसको छोड़ भी देते,
मगर फौलाद है इतना,
कि कोशिश भी करें कितना।
ये जो खयाल है तेरा,
बनाकर ढीट ये डेरा,
कि बैठा है ये जम के बन,
अमन से जकड़े मेरा मन,
मेरा मौला, मेरा मालिक।
बनाकर मुझको नाबालिग,
घुमाता है, फिराता है,
कि तबला हूँ, मैं क्या कोई?
कि ये तालें बजाता है।
इसकी ताल की ठोकें,
कि कैसे हो, इन्हें रोकें,
ये बजती हैं,
तो घुसती हैं,
कानों के पटल को चीर,
हर हिस्से में चुभती हैं।
ना मरता है,
ना डरता है,
करूँ भी क्या कहो इसका,
कि सब कुछ ये ही करता है।
मैं तो बस थाम लेता हूँ,
कि भरकर जाम लेता हूँ,
कभी खाली नहीं करता,
कि ये ही है, जो पीता है,
मुझे बद्-नाम करता है।
तुम मुझको सुनाते हो,
चरसी हूँ, भगाते हो,
कोई इसको भी कुछ बोले,
कि जरा सा तो उधर हो ले,
ये खाला का समझकर,
घऱ,
यहाँ घर कर के बैठा है,
ना मरता है, ना जीता है।
अब तो मान बैठा हूँ,
कि मैं ये जान बैठा हूँ,
कि मैं तो भुला भी दूँगा,
तिमिर कोने, किसी मन के,
कि इसको सुला भी दूँगा,
मगर ये ना भुलायेगा,
ये मेरे संग जीयेगा,
ये मेरे संग जायेगा।
तुझसे तो कहीँ अच्छा,
ये खयाल है तेरा,
तूने तो कभी मुड़कर,
पीछे भी नहीं देखा,
ये मेरे संग जीता है,
ये मेरे संग मरता है।
13 comments:
बेह्द उम्दा प्रस्तुति।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (13/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
bahut achchi kavita bani hai vineet,padhna bahut achcha laga isko........aise hi likhte raho...........
beautiful !!
paras ke beech main gap de vineet blog main
उनके ख्याल आए तो आते चले गये ... बहुत खूब लिखा है ...
sundar abhivyakti!
बहुत ही खुबसुरत रचना.......मेरा ब्लाग"काव्य कल्पना"at http://satyamshivam95.blogspot.com/ साथ ही मेरी कविताएँ हर सोमवार और शुक्रवार "हिन्दी साहित्य मंच" पर प्रकाशित....आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे....धन्यवाद।
Simply wow!
Awesome as Ever....
This is one of the best that I have ever come across...really gud one
Abey kya khakar likhta hai yaar.... mujhe bhi bata de... mai toh tarif karte karte thak gaya ... btw again... awesome read :)
Vinit Saheb kamaal likhte ho :)bahut hi khoob!!
kya likha hai sir app na gajab
Fabulous.... Exceptionally good...
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