मैं उठती हूँ, छैः बजते हैं।
छैः बजते हैं, सूरज आता।
सूरज आता, सुबह फूटती।
सुबह फूटती, तो माँ उठती।
मैं ना उठती, तो माँ उठती ?
छैः बजते हैं, सूरज आता।
सूरज आता, सुबह फूटती।
सुबह फूटती, तो माँ उठती।
मैं ना उठती, तो माँ उठती ?
भरी रात, जी भर सोती हूँ,
छैः घंटे तक, चुप होती हूँ।
उठती हूँ, उठते रोती हूँ,
कब की जो भूखी होती हूँ।
जो ना रोती, भूखी सोती,
नींद की अपनी, नाव डुबाकर,
देता कोई दूध, उठाकर।
छैः घंटे तक, चुप होती हूँ।
उठती हूँ, उठते रोती हूँ,
कब की जो भूखी होती हूँ।
जो ना रोती, भूखी सोती,
नींद की अपनी, नाव डुबाकर,
देता कोई दूध, उठाकर।
दिन छोटे हैं, काम बड़े हैं,
सब के सब, निफराम पड़े हैं,
मुझको फुर्सत, ज़रा नहीं है।
कुछ भी अब तक, करा नहीं है।
घूम-घूम ज़रा, घर तो देखूँ,
उठक-पटक, भर-नज़र तो देखूँ,
इत्ती लंबी, रात गई है,
बेफिक्रों के, साथ गई है।
छोटी हूँ, है बड़ी फिकर पर,
रात गया कुछ, इधर-उधर गर,
और कौन जो, ध्यान करेगा,
ये सब क्या, मेहमान करेगा।
सब के सब, निफराम पड़े हैं,
मुझको फुर्सत, ज़रा नहीं है।
कुछ भी अब तक, करा नहीं है।
घूम-घूम ज़रा, घर तो देखूँ,
उठक-पटक, भर-नज़र तो देखूँ,
इत्ती लंबी, रात गई है,
बेफिक्रों के, साथ गई है।
छोटी हूँ, है बड़ी फिकर पर,
रात गया कुछ, इधर-उधर गर,
और कौन जो, ध्यान करेगा,
ये सब क्या, मेहमान करेगा।
पकड़-पकड़ गर बाल ना
खींचूँ,
कान ना ऐंठूँ, नाक ना भींचूँ।
विजयी-विश्व नींद का हारा,
उठ जाता ये कुनबा सारा ?
कान ना ऐंठूँ, नाक ना भींचूँ।
विजयी-विश्व नींद का हारा,
उठ जाता ये कुनबा सारा ?
औ’ बड़े बड़े ये,
रोज़ लड़ें ये,
सुबह जो मैं, अख़बार ना फाड़ूँ,
हर पन्ना, हर बार ना फाड़ूँ,
देश-जहाँ की फ़िकर के मारे,
पढ़ पाते, सब संग ये सारे।
रोज़ लड़ें ये,
सुबह जो मैं, अख़बार ना फाड़ूँ,
हर पन्ना, हर बार ना फाड़ूँ,
देश-जहाँ की फ़िकर के मारे,
पढ़ पाते, सब संग ये सारे।
अभी तो इतनी, छोटी हूँ मैं,
फिर भी मुश्किल, रोती हूँ मैं।
बड़ों के जितनी, बड़ी जो होती,
आसमान तक, खड़ी जो होती,
पलक झपकती, निपटा देती,
हर उलझन को, सुलझा देती।
फिर भी मुश्किल, रोती हूँ मैं।
बड़ों के जितनी, बड़ी जो होती,
आसमान तक, खड़ी जो होती,
पलक झपकती, निपटा देती,
हर उलझन को, सुलझा देती।
पापा खाली, मम्मी खाली,
बात बनाते, बड़ी बबाली।
पापा का क्या, दफ्तर जाना।
मम्मी का क्या, लंच लगाना।
घर तो पूरा, मुझे चलाना।
बात बनाते, बड़ी बबाली।
पापा का क्या, दफ्तर जाना।
मम्मी का क्या, लंच लगाना।
घर तो पूरा, मुझे चलाना।
मैं चलती, तो मम्मी चलती,
मैं चलती, तो पापा चलते।
मैं चलती, तो अम्मा चलती,
मैं चलती, तो बाबा चलते,
उंगली मेरी, थाम संभलते।
मैं ना चलती, तो ये चलते ?
बैठे रहते, खाट पकड़कर,
हाथ में अपने, हाथ पकड़कर।
मैं चलती, तो पापा चलते।
मैं चलती, तो अम्मा चलती,
मैं चलती, तो बाबा चलते,
उंगली मेरी, थाम संभलते।
मैं ना चलती, तो ये चलते ?
बैठे रहते, खाट पकड़कर,
हाथ में अपने, हाथ पकड़कर।
सोच रहे हैं, पाल रहे हैं,
चार ये मुझे, सम्हाल रहे हैं।
कोई कह दे, इनसे जाकर,
और लगा दें, चार यहाँ पर।
घुटने भर की, टेक बहुत हूँ,
बेबी बस मैं, एक बहुत हूँ।
चार ये मुझे, सम्हाल रहे हैं।
कोई कह दे, इनसे जाकर,
और लगा दें, चार यहाँ पर।
घुटने भर की, टेक बहुत हूँ,
बेबी बस मैं, एक बहुत हूँ।
2 comments:
Good one deepu.
bhumi
Gajab...
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