कि कवि बड़ा के कविता है बड़ी?
कवि तर्क, कविता वितर्क।
बढ़ता जाये दोनों में फर्क।।
माथे पर सिल्वट घनी लिये,
और भवें तीर सी तनी लिये,
कवि बोला कविता मुझसे।
अर्थ, छंद, तरता रस से,
शब्दों के मोती बीन-बीन,
भावों के धागों मे महीन,
एक-एक मोती को डाला है,
और तब कविता की माला है।।
कविता ने ‘हुँ’, हुंकार किया,
और उलट कवि पर वार किया।
कवि से कवि की कविता बोली-
मैं, जनक, जनी तेरी झोली,
तुझसे ही मुझको जान मिली,
पर तुझको भी कब पहचान मिली?
जब-जब कविता मधुशाला है,
तब प्रचलित रचने वाला है।।
श्रोता, एक, वहीं खड़ा ज्ञानी,
बोला, ऐसी सुनकर वाणी-
हे प्रिय कवि! प्यारी कविता!
मेरी भी सुनों, मैं हूँ श्रोता।
कवि है तो कवि की कविता है,
और कविता से, कवि की चरिता है।
पर लाभ कहो क्या यूँ लड़कर,
क्या कवि-कविता से भी बढ़कर,
नहीं कवि-कविता का श्रोता है?
हँसता है, वो ही रोता है।
मैं ही मूरख वो श्रोता हूँ,
कवि में, कविता में खोता हूँ।
जो मै ही ना हूँ महफिल में,
बोलो क्या गुज़रेगी दिल में?
मेरी मानों एक काम करो,
एक दूजे का सम्मान करो।
ना कवि बड़ा, ना कविता ही बड़ी,
है बड़ी, घड़ी वो सबसे बड़ी,
मिल जाती हों जब तीन कड़ी,
कवि हो, कविता हो, श्रोता हो,
तीनों का संगम होता हो।
तब ही महफिल हो, शाम बने।
कवि का, कविता का नाम बने।
और मेरा भी कुछ काम बने।
मैं तो बस एक श्रोता हूँ।
कवि से, कविता से छोटा हूँ।
पर मैं ही हँसता हूँ, रोता हूँ।।
7 comments:
excellent, deepu tu to bahut hi achha likhne laga he. bhavishya ujjawal he. publish karane ko bhej.
bye.
excellent, deepu tu to bahut hi achha likhne laga he. bhavishya ujjawal he. publish karane ko bhej. bahut sahi kavi, kavita & shrota teeno hon to hi jaan he. good mind good find.
bye.
Yaar Vineet, this is truly very good. Excellent work brother.
Tu corporate life mein apna time kharaab kar raha hai. Let's work on your idea starting new year. What say?
Thats was just awesome.... vineet dost... awesome... hats off to kavi & Kavita.. :)
BEHTARIN
KAVITA VYAYANG RASS SE HOTI HUI KARUN RASS ME PAHUNCH GAYI THEE PAR FINALY BHAVNA PRADHAN KAVITA HAI.
KAVI,NE APNI BAAT KO SHI EVAM UCHIT SHABDO KE SAATH SAHJTA SE PRASTUT KIYA HAI
That's a gr8 one...get such compositions published at more places.
brilliant poem vineet
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