काश....., ये सपने ना होते,
या फिर…., ये साले अपने ना होते..।
चलो होते ..., तो इतने, बड़े ना होते,
हरदम,... सर पर चढ़े ना होते।
अब देखो...,
अच्छी खासी नौकरी है,
बढ़िया से बीत रही है,
खूब कमा रहा हूँ,
पी रहा हूँ, खा रहा हूँ,
पैसे भी बचा रहा हूँ,
फिर भी ....
एक ही बात मना रहा हूँ,
कि काश..., ये सपने ना होते,
या फिर..., ये साले अपने ना होते।
ये साले ...सपनें...
रातों को डेढ़ बजे आते हैं,
साढ़े तीन बजे फिर चक्कर लगाते हैं,
और सुबह पाँच बजे,
तो कान में ऐसी फुरफुरी मचाते हैं,
कि मैं कहता हूँ
भैय्या सोने दे,
मैं भी इंसान ही हूँ,
थोड़ी देर तो चैन होने दे।
कहतें हैं, कि बस हो गया,
चद्दर तानी सो गया।
सपने इतने बड़े-बड़े,
पूरे होंगे पड़े-पड़े।
सालों की...हिम्मत देखो,
मेरे सपने..., मेरे सपने में आके, मुझे...,
मेरा ही सपना बता रहे हैं,
मैं नींद में हूँ इसलिये जिंदा हैं,
और मुझे ही उठा रहे हैं।
एक दिन मैं भी आपे से बाहर हो गया,
मैंने दिमाग के हर दरवाजे पे ताले लगा दिये,
और आने-जाने वाले रस्ते पे रखवाले लगा दिये,
कि हर खयाल का नाम पूछना,
क्यों आया है, काम पूछना,
और लौटेगा कैसे, इंतजाम पूछना।
पर क्या ताले,
और क्या रखवाले,
ये साले.... सपने,
चोर नहीं है,....डाकू हैं,
सबके हाथ में बड़े-बड़े चाकू हैं,
सालों ने पूरे दिमाग को हाईजैक कर लिया,
और दिमाग के हर उस हिस्से को हैक कर लिया,
जो मेरे हिसाब से ठीक था,
दुनिया के हिसाब से भी सटीक था,
और अब देखो,
अच्छी खासी नौकरी है, बढ़िया से बीत रही है,
खूब कमा रहा हूँ, पी रहा हूँ, खा रहा हूँ,
फिर भी ये सपने, बड़े-बड़े सपने दिखाते हैं,
और ऐसी-ऐसी चीज करवाते हैं,
कि सब हमें देखके एक ही चीज फरमाते हैं,
कि काश ये सपने ना होते,
या फिर.... ये साले अपने ना होते।
4 comments:
गज़ब...हम भी इन सपनो से ही परेशां हैं ..कभी इनसे निजात का तरीका मिले तो जरुर बताइयेगा प्लीज़.
Awesome as ever Bro!!!
'सबसे खतरनाक होता है, हमारे सपनो का मर जाना' । ऐसा मैं नही कहता, पंजाबी के प्रसिद्ध कवि 'पाश' कह गए हैं
Vineet Saheb as always...superb work :)
Post a Comment